kanchan singla

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गरज गरज आया सावन रे

गरज गरज आया सावन रे
जल चढ़ गया मेरे भोले बाबा पे
भोले आए कष्ट निवारण को
विष पी अमृत बरसाने को
जो चाहो वो तुम मांग लो 
बिना सोचे समझे सब दे देते
भोले हैं मेरे बाबा ये
भस्म रमाएं समशान में रहते हैं 
कोई मोह का बंधन ना बांध सका
सिवाय प्रेम की डोरी के
अब जो आया सावन ये
गरज गरज आएं मेघ हैं
बरस बरस जल चढ़ाए हैं।

# कॉपीराइट_लेखिका - कंचन सिंगला©®
#बोलो हर हर संभू, हर हर महादेव
लेखनी प्रतियोगिता -25-Jul-2022

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10 Comments

Punam verma

26-Jul-2022 09:39 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

26-Jul-2022 09:10 PM

बहुत खूबसूरत

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Chetna swrnkar

26-Jul-2022 02:30 PM

Bahut achhi rachana

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